ऋषि दुर्वासा और देवराज इंद्र की कथा के 5 सूत्र:इंद्र ने कर दिया था दुर्वासा का अपमान, देवराज को मिली सीख -अहंकार से बचें और विनम्रता अपनाएं - Religion
Devotional story:
ऋषि दुर्वासा और देवराज इंद्र की कथा के 5 सूत्र:इंद्र ने कर दिया था दुर्वासा का अपमान, देवराज को मिली सीख -अहंकार से बचें और विनम्रता अपनाएं - Religion

ऋषि दुर्वासा और देवराज इंद्र की कथा के 5 सूत्र:इंद्र ने कर दिया था दुर्वासा का अपमान, देवराज को मिली सीख -अहंकार से बचें और विनम्रता अपनाएं - Religion
मुख्य विवरण
दुर्वासा ऋषि निरंतर भ्रमण करते रहते थे और उनके तेज गुस्से के कारण सभी उनसे डरते थे।
जानिए ये प्रसंग।
देवराज इंद्र और दुर्वासा ऋषि का चर्चित प्रसंग है, इस प्रसंग से हमें संदेश मिलता है कि अहंकार की वजह से सबकुछ बर्बाद हो सकता है, इस बुराई को जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए।
दुर्वासा गुस्से में किसी को भी नहीं छोड़ते थे।
एक दिन दुर्वासा ऋषि अपने कहीं जा रहे थे, तभी सामने से देवराज इंद्र ऐरावत हाथी पर सवार होकर आ रहे थे।
दोनों ने एक-दूसरे को देखा।
दुर्वासा ऋषि के पास भगवान विष्णु द्वारा दी गई फूलों की एक दिव्य माला थी।
उन्होंने सोचा कि देवराज इंद्र त्रिलोक के स्वामी हैं, इसलिए ये माला इन्हें ही उपहार में दे देनी चाहिए।
दुर्वासा ऋषि ने वह माला इंद्र को भेंट कर दी।
इंद्र ने माला तो ले ली, लेकिन वह राजा थे और उनमें अहंकार भी था।
उन्होंने सोचा कि इस माला का मैं क्या करूंगा।
ऐसा सोचकर उन्होंने वह माला अपने हाथी के सिर पर डाल दी।
विशेष जानकारी
हाथी तो पशु था।
उसने अपनी सूंड से माला उठाई और पैरों के नीचे कुचल दी।
यह दृश्य देखकर दुर्वासा ऋषि अत्यंत क्रोधित हो गए।
उन्होंने इंद्र को शाप दिया: “इंद्र! तूने मेरे द्वारा दी गई पवित्र माला का अपमान किया है।
मैं तुझे श्राप देता हूं कि तेरा वैभव, तेरा ऐश्वर्य और तेरा राज्य नष्ट हो जाएगा।
तू श्रीहीन हो जाएगा।
” शाप सत्य हुआ।
असुरों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया, देवता पराजित हो गए और इंद्र का राज्य उनसे छिन गया।
घबराकर सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए।
ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि ये सब दुर्वासा ऋषि के अपमान का परिणाम है।
कहानी से सीखें जीवन प्रबंधन के 5 सूत्र।
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Posted on 18 May 2025 | Source: Dainik Bhaskar | Visit HeadlinesNow.com for more stories.