छठी पूजा: संतान रक्षा का रोमांचक रहस्य!
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छठी पूजा: संतान रक्षा का रोमांचक रहस्य!

छठी पूजा: संतान रक्षा का रोमांचक रहस्य!
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, षष्ठी देवी की पूजा संतान सुख और रक्षा का अनूठा माध्यम है।
पुराणों में बालकों की अधिष्ठात्री देवी के रूप में विख्यात षष्ठी माता, नवजात शिशु के जन्म के छठे दिन पूजित होती हैं।
लोक मान्यता में इसे 'छठी' या 'छठी महोत्सव' के नाम से जाना जाता है।
माना जाता है कि मूल प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण उन्हें षष्ठी देवी कहा जाता है।
विष्णुमाया और बालदा जैसे अन्य नामों से भी पूजित, ये मातृकाओं में देवसेना के नाम से प्रसिद्ध हैं और स्वामी कार्तिकेय की पत्नी भी हैं।
षष्ठी माता का आशीर्वाद बच्चों को दीर्घायु, पोषण और रक्षा प्रदान करता है।
अपनी अद्भुत शक्ति और योग से, वे बच्चों की रक्षा के लिए सदैव उपस्थित रहती हैं।
एक पौराणिक कथा में प्रियव्रत नामक राजा का उल्लेख है, जिन्हें संतान प्राप्ति के लिए कश्यप ऋषि द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाना पड़ा था।
इस कथा से स्पष्ट होता है कि प्राचीन काल से ही षष्ठी देवी की पूजा संतान प्राप्ति और उनके कल्याण के लिए की जाती रही है।
यह पूजा मात्र एक अनुष्ठान नहीं, अपितु आस्था और विश्वास का प्रतीक है जो पीढ़ियों से चली आ रही है।
आज भी लाखों लोग षष्ठी माता की आराधना कर संतान सुख और सुरक्षा की कामना करते हैं, इससे षष्ठी देवी की महिमा और उनके महत्व को समझा जा सकता है।
हिन्दू धर्म, माता-पिता, संतान सुरक्षा, संतान सुख, छठी पूजा, इन सभी शब्दों से जुड़ा यह त्योहार हमारे धार्मिक जीवन का एक अहम हिस्सा है।
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Posted on 18 May 2025 | Source: Prabhasakshi | Stay updated with HeadlinesNow.com for more news.
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