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क्या GDP ही है राष्ट्र विकास का पैमाना? चौंकाने वाला तथ्य!

क्या GDP ही है राष्ट्र विकास का पैमाना? चौंकाने वाला तथ्य!

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क्या GDP ही है राष्ट्र विकास का पैमाना? चौंकाने वाला तथ्य!

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क्या GDP ही है राष्ट्र विकास का पैमाना? चौंकाने वाला तथ्य!

हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, कौशिक बसु के लेख ने देश के विकास के मापदंड पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

क्या केवल जीडीपी ही राष्ट्र की प्रगति का सही पैमाना है? लेख में बताया गया है कि देश की आर्थिक स्थिति का आकलन करना जटिल कार्य है, और अतीत में कई विद्वानों ने इस पर विस्तृत शोध किए हैं।

लेकिन आजकल जीडीपी एक सर्वमान्य पैमाना बन गया है, जो एक वर्ष में देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है।

यह आबादी की कुल आय का भी अनुमान लगाता है, लेकिन यह एक बेहद संक्षिप्त मीट्रिक है जो देश की आर्थिक सेहत की पूरी तस्वीर नहीं दिखाता।

1930 के दशक में साइमन कुजनेट्स द्वारा विकसित, जीडीपी ने आर्थिक नीति निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लेकिन क्या यह विकास का एकमात्र और पर्याप्त मापदंड है? क्या शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को जीडीपी में शामिल किया जाना चाहिए? क्या केवल आर्थिक वृद्धि ही राष्ट्रीय प्रगति का प्रमाण है, या अन्य सामाजिक-आर्थिक सूचकांकों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए? इस लेख ने राष्ट्रीय विकास, आर्थिक नीति, सामाजिक न्याय, और समग्र राष्ट्रीय प्रगति जैसे महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों पर बहस को और गहरा कर दिया है।

यह प्रश्न उठाता है कि क्या हमें राष्ट्रीय प्रगति को मापने के लिए एक अधिक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जहाँ जीडीपी केवल एक कारक हो, न कि एकमात्र निर्णायक कारक।

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Posted on 04 June 2025 | Source: Dainik Bhaskar | Visit HeadlinesNow.com for more stories.

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