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इंद्र का घमंड और दुर्वासा का क्रोध: क्या हुआ था धर्म और देवताओं के बीच? Indra's Arrogance; Durvasas' Wrath; Ancient Myth
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, प्राचीन धर्म ग्रंथों में वर्णित एक प्रसंग इंद्र के अहंकार और दुर्वासा ऋषि के क्रोध की कहानी सुनाता है।
पौराणिक कथाओं में दुर्वासा ऋषि अपनी अति क्रोधी प्रकृति के लिए जाने जाते थे।
एक बार भगवान विष्णु ने उन्हें अपनी दिव्य माला भेंट स्वरूप दी।
यह माला प्राप्त कर दुर्वासा प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु के आश्रम से विदा होकर चल पड़े।
रास्ते में उन्हें देवराज इंद्र दिखाई दिए, जो अपने ऐरावत हाथी पर सवार थे।
दुर्वासा ने सोचा कि यह माला इंद्र को अधिक शोभा देगी, अतः उन्होंने श्रद्धा भाव से इंद्र को वह माला अर्पित कर दी।
परन्तु इंद्र, अपने अहंकार के कारण, उस दिव्य माला को हल्के में लेते हुए अपने हाथी ऐरावत के सिर पर रख दिया।
ऐरावत ने अपनी सूंड से माला उठाई और फिर पैरों से कुचल दिया।
यह सब दुर्वासा के सामने ही घटित हुआ।
दुर्वासा ऋषि इस अपमान से बेहद क्रोधित हो गए और इंद्र को शाप दिया कि उनके राज्य और वैभव का नाश होगा।
यह घटना देवताओं के बीच धर्म और अहंकार के संघर्ष को दर्शाती है, तथा उपहारों का सम्मान करने की शिक्षा देती है।
इस पूरे प्रसंग में पूजा, देवता और धर्म जैसे तत्वों का महत्वपूर्ण योगदान है।
इस घटना से हमें यह भी सीख मिलती है कि अपने पद और प्रतिष्ठा के बावजूद, सभी को विनम्र रहना चाहिए और दूसरों का सम्मान करना चाहिए।
यह कहानी आध्यात्मिकता और धार्मिक जीवन के महत्व को रेखांकित करती है।
- दुर्वासा ने इंद्र को दिव्य माला भेंट की।
- इंद्र ने माला का अपमान किया, ऐरावत ने कुचला।
- क्रोधित दुर्वासा ने इंद्र को वैभवहीन होने का शाप दिया।
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Posted on 16 June 2025 | Stay updated with HeadlinesNow.com for more news.
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