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ईरान-इजराइल संघर्ष: क्या धार्मिक राजनीति है असली वजह? राजनीति Iran Israel Tension Historical Conflict
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव की जड़ें 1979 की ईरानी क्रांति में हैं, जिसने एक शिया धर्मतंत्र को जन्म दिया।
इस्लामी गणराज्य की महत्वाकांक्षा क्षेत्रीय वर्चस्व और इस्लामी दुनिया का नेतृत्व करने की रही है।
इस महत्वाकांक्षा ने सऊदी अरब जैसी सुन्नी ताकतों के साथ प्रतिद्वंद्विता को जन्म दिया, जो ईरान के प्रभाव को चुनौती देती हैं।
इजराइल के साथ लगातार सैन्य पराजयों के बाद, अरब देशों ने अपने कट्टरपंथी विरोधी-इजरायल रुख में नरमी लाई।
इस वैचारिक शून्य में ईरान ने उग्र विरोधी-इजरायल रुख अपनाया, हिजबुल्ला, हमास और हूती जैसे सशस्त्र समूहों को समर्थन देकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया।
आज, ईरान अरब देशों की तुलना में कहीं अधिक आक्रामक रूप से इजराइल विरोधी है।
यह संघर्ष ईरान के घरेलू शासन को मजबूत करने, क्षेत्रीय वर्चस्व का दावा करने और सुन्नी राजतंत्रों के समक्ष एक कट्टरपंथी विकल्प पेश करने के उद्देश्य को पूरा करता है।
यह राजनीतिक संघर्ष, धार्मिक मतभेदों और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं का जटिल मिश्रण है जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा है।
इस संघर्ष में बीजेपी और कांग्रेस जैसी राजनीतिक पार्टियों के रुख पर भी विचार करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वैश्विक राजनीति को प्रभावित करता है और चुनावों में भी अपनी भूमिका निभाता है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षेत्रीय संघर्ष का समाधान नेताओं की राजनैतिक समझदारी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर निर्भर करता है।
परमाणु हथियारों की दौड़ इस संघर्ष को और भी जटिल बनाती है।
- 1979 की ईरानी क्रांति ने इस संघर्ष को जन्म दिया।
- ईरान का उग्र विरोधी-इजरायल रुख क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण है।
- धार्मिक और राजनीतिक कारण इस संघर्ष को जटिल बनाते हैं।
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Posted on 17 June 2025 | Visit HeadlinesNow.com for more stories.
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