विजयशंकर मेहता का चिंतन: राजनीति और आध्यात्मिक संतुलन संभव है? Plane Crash Grief Spiritual Reflection

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विजयशंकर मेहता का चिंतन: राजनीति और आध्यात्मिक संतुलन संभव है? Plane Crash Grief Spiritual Reflection

हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, पंडित विजयशंकर मेहता के ताज़ा लेख में हाल ही में हुई विमान दुर्घटना के बाद मृत्यु और उसके संताप पर गहरा चिंतन किया गया है।

लेखक ने दुखद घटना को धर्म और राजनीति के संदर्भ में जोड़ते हुए एक गहन आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया है।

मेहता जी ने कहा है कि मृत्यु का भय तो है ही, पर उससे भी बड़ा संताप है, अपनों से जुदाई का कष्ट।

वे स्वयं लगातार यात्रा करते हैं और हर उड़ान से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, यह मानते हुए कि यह तकनीकी सुरक्षा तो नहीं दे सकता, परन्तु आंतरिक शांति अवश्य प्रदान करता है।

उन्होंने महाभारत के संदर्भ में ब्रह्मा जी के कथन को उद्धृत किया, जिसमें सात दोषों – लोभ, क्रोध, ईर्ष्या, मोह, द्वेष, निर्लज्जता और कठोर वाणी – को मृत्यु के संताप का कारण बताया गया है।

इन पर नियंत्रण पाकर ही मृत्यु के भय और संताप से मुक्ति पाई जा सकती है।

लेखक ने राजनीति में भी इसी तरह के आध्यात्मिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया है, जहाँ नेताओं को लोभ और क्रोध जैसे दोषों से ऊपर उठकर जनता के प्रति समर्पित रहना चाहिए।

कांग्रेस और बीजेपी जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को भी इस चिंतन से प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि वे चुनावों के दौरान भी अपने कार्यों में नैतिकता और संयम बनाए रखें।

इस प्रकार, मेहता जी का यह लेख राजनीति और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

यह लेख हमें जीवन के अर्थ और मृत्यु के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

  • मृत्यु का भय नहीं, संताप से बचने का उपाय
  • राजनीति में आध्यात्मिकता की आवश्यकता पर बल
  • कांग्रेस, बीजेपी नेताओं के लिए प्रेरणादायक

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Posted on 15 June 2025 | Follow HeadlinesNow.com for the latest updates.

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