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संविधान की प्रस्तावना: 'सोशलिस्ट', 'सेक्युलर' शब्दों पर आरएसएस का सवाल? Rss Demands Secular Socialist Debate
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में सम्मिलित ‘सोशलिस्ट’ और ‘सेक्युलर’ शब्दों पर सार्वजनिक बहस की मांग की है।
उन्होंने दावा किया कि ये शब्द मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे और 1976 में 42वें संविधान संशोधन के दौरान, आपातकाल के समय, संसद की सहमति के बिना जोड़े गए थे।
होसबाले ने 26 जून को दिल्ली में आयोजित ‘आपातकाल के 50 साल’ कार्यक्रम में यह बात कही।
उन्होंने तर्क दिया कि आपातकाल के दौरान देश में संसद और न्यायपालिका की कार्यप्रणाली प्रभावित थी, और इस दौरान इन शब्दों को जोड़ना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन था।
उन्होंने, बिना किसी का नाम लिए, इंदिरा गांधी सरकार पर आपातकाल के दौरान संविधान और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने का आरोप लगाया।
होसबाले के इस बयान से देश भर में राजनीतिक बहस छिड़ गई है, जिसमें भारत सरकार और विपक्षी दलों के बीच मतभेद स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं।
यह घटना देश की राजनीति और संविधान की व्याख्या पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
इस बयान से देश के राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा असर पड़ने की संभावना है, और आने वाले समय में इस विषय पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है।
यह घटना भारत के राष्ट्रीय चरित्र और उसके संवैधानिक मूल्यों पर बहस को फिर से जीवंत कर सकती है।
- आरएसएस ने संविधान की प्रस्तावना में 'सोशलिस्ट' और 'सेक्युलर' शब्दों पर सवाल उठाया।
- होसबाले का दावा: ये शब्द आपातकाल के दौरान संसद की सहमति के बिना जोड़े गए थे।
- इस बयान से देश में राजनीतिक बहस तेज हुई है।
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Posted on 27 June 2025 | Follow HeadlinesNow.com for the latest updates.
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