अमेरिकी नीति बदली, भारत के लिए नई रणनीति जरूरी? - US-policy-shift-challenges-India

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हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के बदलते रुख ने भारत के सामने नई चुनौतियाँ पेश की हैं।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दूत के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, अमेरिका ने सीरिया में हजारों विदेशी जिहादियों को राष्ट्रीय सेना में शामिल करने की योजना को मंज़ूरी दे दी है।

यह योजना पारदर्शिता पर आधारित है, जहाँ लगभग 3,500 विदेशी लड़ाके, जिनमें से अधिकांश चीन और पड़ोसी देशों के उइगर हैं, 84वीं सीरियाई सेना डिवीजन में शामिल होंगे।

इस निर्णय से वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति में एक बड़ा बदलाव देखा जा सकता है।

सीरियाई रक्षा अधिकारियों के अनुसार, इस योजना में सीरियाई लड़ाके भी शामिल होंगे।

लेकिन क्या यह एक जोखिम भरा कदम है? क्या ये पूर्व विद्रोही लड़ाके अपनी पुरानी मानसिकता से उबर पाएंगे? अफगानिस्तान में तालिबान और पाकिस्तान में मुस्लिम आतंकवादियों का सैन्य एकीकरण इस बात का प्रमाण है कि आतंकवाद का खतरा कितना गहरा और व्यापक है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद सामने आई जानकारी से यह स्पष्ट है कि आतंकवादियों का सैन्यीकरण एक बड़ी चुनौती बन चुका है।

यह घटनाक्रम भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद से निपटने की हमारी रणनीति को प्रभावित कर सकता है।

इसलिए, भारत को अब अपनी विदेश नीति और आतंकवाद विरोधी रणनीति में बदलाव करते हुए नई रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।

यह एक ऐसा कदम है जो वैश्विक राजनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दों पर गंभीर प्रभाव डालेगा।

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Posted on 13 June 2025 | Source: Prabhasakshi | Visit HeadlinesNow.com for more stories.

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