अब नहीं टलेगा स्पीडी ट्रायल, बिहार पुलिस ला रही है फूलप्रूफ सिस्टम Breaking News Update
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अब नहीं टलेगा स्पीडी ट्रायल, बिहार पुलिस ला रही है फूलप्रूफ सिस्टम Breaking News Update
पटना: बिहार में अब गवाहों की गैरहाजिरी के चलते आपराधिक मामलों में स्पीडी ट्रायल लटकते नहीं रहेंगे।
राज्य पुलिस ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए एक फूलप्रूफ और डिजिटल सिस्टम तैयार किया है, जिसके तहत चाहे सरकारी गवाह हों या निजी, सभी को कोर्ट में समय पर पेश होना अनिवार्य होगा।
स्पीडी ट्रायल को मिलेगा रफ्तार, गवाही टालने पर कार्रवाई तयपुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने स्पष्ट किया कि अब कोई भी पुलिस अधिकारी या कर्मी गवाही से बच नहीं पाएगा।
यदि कोई पुलिसकर्मी गवाही के लिए कोर्ट में समय पर उपस्थित नहीं होता, तो उसका वेतन बंद कर दिया जाएगा।
साथ ही, इसके लिए एक विशेष वेबसाइट का निर्माण किया जा रहा है, जिससे गवाहों को समन भेजा जाएगा।
यह वेबसाइट विशेष रूप से उन पुलिसकर्मियों के लिए उपयोगी होगी जो किसी अन्य जिले में ट्रांसफर हो चुके हैं, सेवानिवृत्त हो चुके हैं या स्वास्थ्य कारणों से ड्यूटी पर नहीं हैं।
समन प्राप्त होते ही उन्हें गवाही के लिए कोर्ट में हाजिर होना होगा।
गवाहों के लिए विशेष व्यवस्था, पुलिस देगी लॉजिस्टिक सपोर्टडीजीपी ने बताया कि सरकारी गवाहों को कोर्ट तक लाने की जिम्मेदारी पुलिस की होगी।
इसके लिए पुलिस गवाहों के लिए वाहन की व्यवस्था करेगी, साथ ही उन्हें उनकी जरूरत के मुताबिक अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गवाही की प्रक्रिया किसी भी सूरत में प्रभावित न हो।
उन्होंने कहा कि कई बार ट्रायल सिर्फ इस कारण अटक जाता है कि गवाह समय पर कोर्ट नहीं पहुंचते, और ऐसे में आरोपी चाहे दोषी हो या निर्दोष, केस अनावश्यक रूप से लंबा खिंचता है।
निजी गवाहों की संख्या में इजाफा, पुलिस दिखा रही सक्रियताविनय कुमार ने यह भी बताया कि हाल के महीनों में निजी गवाहों के कोर्ट में पेश होने की संख्या दोगुनी हो गई है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है।
उन्होंने कहा कि क्रिमिनल ट्रायल में देरी के चलते कई बार निजी गवाह मुकर जाते हैं, जिससे केस कमजोर पड़ता है।
लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत यह समस्या भी काफी हद तक सुलझाई जा सकेगी।
दोनों पक्षों का मौलिक अधिकार है त्वरित न्यायडीजीपी ने ज़ोर देते हुए कहा कि त्वरित न्याय सिर्फ पीड़ित का नहीं, बल्कि अभियुक्त का भी मौलिक अधिकार है।
अगर कोई आरोपी निर्दोष साबित होता है, तो उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए।
वहीं, अगर दोष सिद्ध होता है, तो उसे जल्द सजा मिलनी चाहिए।
इसके लिए तेजी से सुनवाई की व्यवस्था आवश्यक है, और यह पहल उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट का बड़ा नेटवर्क होगा तैयारबिहार पुलिस ने सरकार के सामने राज्य भर में 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट्स की स्थापना का प्रस्ताव पहले ही प्रस्तुत कर दिया है।
यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2000 से 2011 तक राज्य में कुल 178 फास्ट ट्रैक कोर्ट्स कार्यरत थे, लेकिन 2011 के बाद इन्हें समाप्त कर दिया गया था।
अब फिर से इस व्यवस्था को बहाल करने की तैयारी की जा रही है ताकि आपराधिक मामलों में देरी पर लगाम लगाई जा सके।
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Posted on 05 July 2025 | Check HeadlinesNow.com for more coverage.