Election news:

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:लक्ष्मी-सरस्वती का संतुलन समझदारीपूर्ण धनाढ्यपन है Breaking News Update
पुरानी कहावत है कि लक्ष्मी व सरस्वती की बनती नहीं।
अब आज के दौर में इस कहावत के मतलब बदल गए हैं।
पहले तो यह समझा जाए कि लक्ष्मी तो विरासत में मिल जाती है, लेकिन सरस्वती विरासत में नहीं मिलती।
उसकी विरासत को भी एक तपस्या से गुजरना पड़ता है।
ये दोनों बहनें आपस में लड़ती नहीं।
सरस्वती को लक्ष्मी का सहयोग रहता है और लक्ष्मी को सरस्वती का समर्थन मिलता है।
सहयोग सतही क्रिया है, समर्थन गहराई से किया हुआ कृत्य है।
अब यह तो तय है कि पुराने वक्त में अशिक्षित लोग धनाढ्य हो गए।
धीरे-धीरे उनकी संख्या कम हो रही है।
अब जिसे भी धन कमाना हो, उसको विद्या का आधार लेना ही पड़ेगा।
धनाढ्य बाप-दादा मिल जाना लॉटरी की तरह है।
पर ये लॉटरी सबको नहीं लगती।
अब तो वो समय है कि बाप-दादा की दौलत मिल भी गई तो उसको बचाने में भी सरस्वती लगेगी।
लक्ष्मी के मुकाबले सरस्वती हम मनुष्यों के जीवन में अधिक समाई हुई हैं।
दोनों का संतुलन, समझदारी भरा धनाढ्यपन होगा।
Related: Bollywood Highlights
Posted on 23 August 2025 | Stay updated with HeadlinesNow.com for more news.
0 टिप्पणियाँ