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कांग्रेस बोली- मोदी मणिपुर से दूरी बनाए हुए हैं:शाह स्थिति संभालने में विफल; राज्य में हिंसा के 2 साल पूरे, 3 महीने से राष्ट्रपति शासन

कांग्रेस बोली- मोदी मणिपुर से दूरी बनाए हुए हैं:शाह स्थिति संभालने में विफल; राज्य में हिंसा के 2 साल पूरे, 3 महीने से राष्ट्रपति शासन

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कांग्रेस बोली- मोदी मणिपुर से दूरी बनाए हुए हैं:शाह स्थिति संभालने में विफल; राज्य में हिंसा के 2 साल पूरे, 3 महीने से राष्ट्रपति शासन

मणिपुर में दो समुदायों के बीच हिंसा के आज (3 मई) दो साल पूरे हो गए। कांग्रेस ने कहा, 'पीएम मोदी मणिपुर से दूरी बनाए हुए हैं। इसको लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर नि... Brought to you by HeadlinesNow.com

कांग्रेस बोली- मोदी मणिपुर से दूरी बनाए हुए हैं:शाह स्थिति संभालने में विफल; राज्य में हिंसा के 2 साल पूरे, 3 महीने से राष्ट्रपति शासन news image
मणिपुर में दो समुदायों के बीच हिंसा के आज (3 मई) दो साल पूरे हो गए। कांग्रेस ने कहा, 'पीएम मोदी मणिपुर से दूरी बनाए हुए हैं। इसको लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा। गृह मंत्री अमित शाह राज्य की स्थिति संभालने में विफल साबित हुए हैं। ' कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन जारी है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं, सिर्फ निलंबित है। कई नागरिक संगठन इसके विरोध में हैं। सियासी ताकत पूर्व CM वीरेन सिंह के हाथ में है, क्योंकि यहां भाजपा बिखरी हुई है। 3 मई 2023 को कुकी-मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष शुरू हुआ था, जो आज भी जारी है। इन दो सालों में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। 1500 से ज्यादा घायल हुए। 70 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। 6 हजार से ज्यादा FIR दर्ज हुई हैं। शनिवार को मैतेई नियंत्रित इम्फाल घाटी में मैतेई समूह समन्वय समिति मणिपुर अखंडता (COCOMI) और जोमी छात्र संघ (ZSF), कुकी छात्र संगठन (KSO) ने पहाड़ी जिलों में बंद बुलाया। इस दौरान पूरे राज्य में सभी स्कूल-कॉलेज, सरकारी कार्यालय और दूसरे संस्थान बंद रहे। कुकी समुदाय आज के दिन को डे ऑफ आइसोलेशन के रूप में मनाया। राज्य में तनाव को देखते हुए सुरक्षाबलों ने इम्फाल, चुराचांदपुर और कंगपोकपी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। जयराम रमेश ने लिखा- मणिपुर की पीड़ा और तकलीफ जारी रमेश ने X पोस्ट में लिखा- भाजपा ने फरवरी 2022 में भारी जनादेश के साथ मणिपुर में सरकार बनाई और आज से ठीक दो साल पहले राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। राज्य की पीड़ा और तकलीफ अब भी जारी है। राजनीतिक खेल खेले जा रहे हैं। कोई सार्थक सुलह प्रक्रिया नहीं चल रही है। 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। लोग बहुत तनाव की स्थिति में राहत शिविरों में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीएम ने राज्य में किसी से मुलाकात नहीं की वे पूरी दुनिया में घूम चुके हैं, लेकिन उन्हें इस संकटग्रस्त राज्य का दौरा करने और वहां के लोगों से मिलने के लिए न तो समय मिला है, उनकी न ही इच्छा है और न ही उनमें संवेदनशीलता है। रमेश ने कहा कि मणिपुर इससे बेहतर स्थिति का हकदार है। मणिपुर के लोग प्रधानमंत्री के इम्फाल आने और खूबसूरत राज्य का दौरा करने तथा लोगों को सांत्वना देने का इंतजार कर रहे हैं। कम से कम उस सीमा तक जहां तक ​​वे ऐसा करने में सक्षम हैं। सुरक्षाबलों का 20 किमी का फ्लैग मार्च मणिपुर हिंसा की दूसरी बरसी से एक दिन पहले (2 मई) सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया था। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 34 बटालियन के DIG सुशांकर उपाध्याय ने बताया था कि इस फ्लैग मार्च से लोगों में एक भरोसा पैदा होगा। लोगों को लगेगा कि हालात पर काबू पाने के लिए यहां एक न्यूट्रल (किसी के पक्ष में नहीं) फोर्स है। DIG उपाध्याय ने ये भी बताया था कि फ्लैग मार्च में 1000 जवान शामिल हुए। हमने इसे इम्फाल पुलिस के साथ कोऑर्डिनेशन में आयोजित किया था। हमने करीब 20 किमी का मार्च निकाला। हम लोगों में एक तरह का विश्वास और उपद्रवियों को चेतावनी देना चाहते थे। 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन, नई सरकार की मांग तेज मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं हुई है। सिर्फ निलंबित है। इसलिए कई नागरिक संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। सियासी ताकत पूर्व सीएम एन। वीरेन सिंह के हाथ में है, क्योंकि यहां भाजपा बिखरी हुई है। 30 अप्रैल को 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में तत्काल लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग की थी। पत्र पर भाजपा के 14 विधायकों ने साइन किए हैं। स्कूल-अस्पताल-दफ्तर-बाजार तो ट्रैक पर लौटे। पर राज्य 2 हिस्सों में बंट गया मणिपुर हिंसा के दो साल बाद हालात ये हैं कि स्कूल, अस्पताल, सरकारी दफ्तर और बाजार सामान्य स्थिति की ओर लौट गए हैं। बाजार का सामान मैतेई बहुल इलाकों से कुकी इलाकों में जा रहा है। राज्य दो हिस्सों में बंट गया है। एक तरफ मैतेई हैं और दूसरी ओर कुकी। इनमें भी कुकी वाले इलाके ज्यादा संवेदनशील हैं, इस वजह से 50 हजार में से 30 हजार सुरक्षाबल यहीं तैनात हैं। 9 फरवरी को CM बीरेन ने इस्तीफा दिया था मणिपु के सीएम एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह पर राज्य में 21 महीने से जारी हिंसा के चलते काफी दबाव था। विपक्षी पार्टियां भी लगातार NDA से इस मुद्दे पर सवाल पूछ रही थीं। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक था, जिसे निलंबित कर दिया गया था। केंद्र ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। मई 2023 से मैतेई और कुकी समूहों के बीच जातीय हिंसा में 300 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए। राहुल ने कहा था- PM को तुरंत मणिपुर जाना चाहिए एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि हिंसा, जान-माल के नुकसान के बावजूद पीएम मोदी ने एन बीरेन सिंह को पद पर बनाए रखा, लेकिन अब लोगों की तरफ से बढ़ते दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव की वजह से एन बीरेन सिंह इस्तीफा देने को मजबूर हो गए। X पोस्ट में उन्होंने कहा कि इस वक्त सबसे जरूरी बात यह है कि राज्य में शांति बहाल की जाए और मणिपुर के लोगों के घावों को भरने का काम किया जाए। पीएम मोदी को तुरंत मणिपुर जाना चाहिए, वहां के लोगों की बात सुननी चाहिए और यह बताना चाहिए कि वे हालात सामान्य करने के लिए क्या योजना बना रहे हैं। -------------------------------------------- मणिपुर से जुड़ी ये महिलाओं की सरेआम न्यूड परेड, डेविड का सिर काटकर लटकाया:250 से ज्यादा मौतें, मणिपुर हिंसा के 2 साल; राष्ट्रपति शासन से क्या बदला ‘हम पुलिस की गाड़ी में थे। लगा था कि वो हमें बचा लेंगे। मैतेई लड़कों की भीड़ ने गाड़ी घेर ली। हमें उतारकर इधर-उधर छूने लगे। उन्होंने कहा- जिंदा रहना है, तो कपड़े उतारो। हमने मदद के लिए पुलिसवालों की तरफ देखा, लेकिन उन्होंने मुंह फेर लिया। फिर हमारे पास कोई और रास्ता ही नहीं बचा। ’ पूरी खबर पढ़ें।

Posted on 04 May 2025 | Check HeadlinesNow.com for more coverage.

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