अकेलेपन को जीतना: क्या है संतोष का राज़? राजनीति
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अकेलेपन को जीतना: क्या है संतोष का राज़? राजनीति

अकेलेपन को जीतना: क्या है संतोष का राज़? राजनीति
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, पं. विजयशंकर मेहता के विचारों ने अकेलेपन और संतोष के बीच के जटिल संबंध को उजागर किया है।
आजकल बढ़ती सिंगल लाइफ और उसके भावनात्मक पहलुओं पर बहस जारी है, लेकिन मेहता जी ने इस मुद्दे को एक नए नज़रिए से देखा है।
उन्होंने कहा कि भारत में दो तरह की सिंगल लाइफ मौजूद है: एक, तलाकशुदा, विधवा या विधुर जीवन; और दूसरा, जहाँ परिवार के सदस्य एक ही घर में रहते हुए भी भावनात्मक रूप से अलग-थलग हैं।
मेहता जी के अनुसार, अकेलेपन को एकांत में बदलना ही सच्चा संतोष पाने की कुंजी है।
इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों का उदाहरण दिया, जो अकेले रहते हुए भी समाज के लिए काम करते हैं और इसीलिए उनका संतुष्टि स्तर उच्च होता है।
अपने रोमांटिक पार्टनर खुद बनना, जीवन में एक बड़ा लक्ष्य चुनना और समाज के लिए योगदान देना, ये सभी अकेलेपन को सार्थक बनाने में मदद करते हैं।
इसके अलावा, उन्होंने जीवन में सफलता, आत्म-सम्मान और सामाजिक योगदान जैसे कारकों पर भी जोर दिया, जिससे व्यक्तिगत संतुष्टि बढ़ती है।
मेहता जी का मानना है कि अकेलापन कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि आत्म-खोज और आंतरिक शक्ति का अवसर है।
यदि आप सिंगल लाइफ जी रहे हैं, तो उसे एक ऐसे अनुभव में बदलें जहाँ आपको खुशी, संतोष और आनंद मिले।
यह जीवन का एक ऐसा पहलू है जिस पर राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर विचार किया जाना चाहिए।
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Posted on 29 May 2025 | Source: Dainik Bhaskar | Follow HeadlinesNow.com for the latest updates.