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क्या हम परमात्मा के साथ हैं? विजयशंकर मेहता का चौंकाने वाला विचार

क्या हम परमात्मा के साथ हैं? विजयशंकर मेहता का चौंकाने वाला विचार

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क्या हम परमात्मा के साथ हैं? विजयशंकर मेहता का चौंकाने वाला विचार

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क्या हम परमात्मा के साथ हैं? विजयशंकर मेहता का चौंकाने वाला विचार

हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, पंडित विजयशंकर मेहता के विचारों ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है।

उनके अनुसार, परमात्मा सर्वव्यापी है, परन्तु प्रश्न यह है कि क्या हम परमात्मा के साथ हैं? मेहता जी ने अच्छे और बुरे कर्मों के बीच इस अंतर को रेखांकित किया है।

अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति परमात्मा के साथ जुड़े रहते हैं जबकि बुरे कर्म करने वाले, भले ही परमात्मा उनके साथ हो, परन्तु वे परमात्मा के साथ नहीं होते।

आत्मा की यात्रा और ईश्वर से जुड़ने के उपायों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने ईश्वर की कथाओं के श्रवण को एक महत्वपूर्ण माध्यम बताया है।

चाहे किसी भी रूप में हो, भगवान के नाम का जाप, कथाओं का श्रवण, दिन में कुछ समय अवश्य निकालें।

तुलसीदास जी के कथन 'ते जड़ जीव निजात्मक घाती।

जिन्हहि न रघुपति कथा सोहाती।

' का उल्लेख करते हुए, उन्होंने उन लोगों को आत्मघाती बताया जो भगवान की कथाओं में रूचि नहीं रखते।

यह कथा श्रवण केवल पंडालों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता लाने का एक तरीका है।

मेहता जी के अनुसार, जीवन की चुनौतियों का सामना सकारात्मक दृष्टिकोण से करना चाहिए।

यह विचार धर्म, आध्यात्म, राजनीति और जीवन दर्शन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है, जिस पर गहन चिंतन करने की आवश्यकता है।

इस विचार से राजनीतिक विचारधाराओं पर भी एक नया नज़रिया आ सकता है।

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Posted on 29 May 2025 | Source: Dainik Bhaskar | Check HeadlinesNow.com for more coverage.

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