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Kalkaji Temple: महाभारत से जुड़ा है दिल्ली के कालकाजी मंदिर का इतिहास, जानिए मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

Kalkaji Temple: महाभारत से जुड़ा है दिल्ली के कालकाजी मंदिर का इतिहास, जानिए मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

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Kalkaji Temple: महाभारत से जुड़ा है दिल्ली के कालकाजी मंदिर का इतिहास, जानिए मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

Kalkaji Temple: महाभारत से जुड़ा है दिल्ली के कालकाजी मंदिर का इतिहास, जानिए मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य news image

Kalkaji Temple: महाभारत से जुड़ा है दिल्ली के कालकाजी मंदिर का इतिहास, जानिए मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

मुख्य विवरण

दिल्ली एनसीआर के सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में कालकाजी मंदिर शामिल है।

यह मंदिर दक्षिण दिल्ली के कालकाजी में स्थित है।

इस मंदिर में पूरे साल लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

कालकाजी में सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग जैसे चारों युगों से वैसा ही है।

वहीं नवरात्रि पर भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस पवित्र मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।

महाभारत से है इस मंदिर का कनेक्शन दिल्ली के कालकाजी मंदिर का निर्माण 1764 में किया गया था।

हिंदू महाकाव्य महाभारत में वर्णित है कि कुरुक्षेत्र का युद्ध जीतने के बाद पांडवों ने कई स्थानों की यात्रा की और साथ ही पांच मंदिरों का भी निर्माण किया।

यह भी उस मंदिर में से एक है।

कालकाजी मंदिर में भी पांडवों ने पूजा की, जिससे उनको शक्ति, उत्साह और धैर्य प्राप्त हुआ।

धार्मिक मान्यता है कि कालकाजी मंदिर में जो भी सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है।

इसे भी पढ़ें: Buddha Purnima: दुनिया को युद्ध की नहीं, बुद्ध की जरूरत है औरंगजेब ने किया मंदिर तोड़ने का प्रयास औरंगजेब मुगल साम्राज्य का छठा शासक था और उसने भारतीय उपमहाद्वीप पर करीब 50 सालों तक शासन किया।

औरंगजेब ने एक आदेश जारी किया कि मंदिरों को नष्ट किया जाए, जिससे कि इस्लाम को अधिक शक्ति से स्थापित किया जा सके।

औरंगजेब के आदेश के हिसाब से इस मंदिर के कुछ हिस्सों को भी नष्ट कर दिया गया।

दरअसल, हम मंदिर का जो स्वरूप आज देखते हैं, वह 18वीं शताब्दी में औरंगजेब की मौत के बाद फिर से बनाया गया।

हालांकि इस मंदिर का कुछ हिस्सों को वैसे ही छोड़ दिया गया है।

ऐसे हुआ था मां कालका का अवतरण माना जाता है जहां पर कालकाजी मंदिर स्थित है, उसी स्थान पर देवी कालका का जन्म हुआ था।

एक समय पर राक्षसों ने मंदिर के पास युद्ध छेड़ दिया, तब मां कौशिकी ने उन राक्षसों से लड़ाई की फिर तब कालका देवी जोकि कौषिकी देवी की भौंहों से उत्पन्न हुई थीं।

उन्होंने सभी राक्षसों को मार दिया।

विशेष जानकारी

वहीं विजय प्राप्त करने के बाद देवी ने उस स्थान को अपना निवास बनाया और उनकी वहां पर पूजा की जाने लगी।

बच्चों का होता है मुंडन संस्कार वहीं 6-8 महीने के बच्चों का मुंडन संस्कार किया जाता है, इस दौरान बच्चे के सिर के बाल मुंडवाए जाते हैं।

हिंदू धर्म में माना जाता है कि यह वो बाल होते हैं, जो बच्चे पिछले जीवन से लेकर आए होते हैं।

इस मंदिर में यह अनुष्ठान किया जाता है, जिससे कि बच्चा इन बंधनों से मुक्त हो सके और नई जिंदगी शुरू कर सके।

ग्रहण के दौरान भी खुला रहता है मंदिर अधिकतर मंदिर ग्रहण के समय बंद रहते हैं।

वहीं मूर्तियों को भी ढक दिया जाता है और भक्तों का प्रवेश भी बंद कर दिया जाता है।

लेकिन काजकाजी मंदिर ग्रहण के दौरान भी खुला रहता है।

वहीं इन दिनों में काजकाजी मंदिर में अधिक भीड़ होती है।

जिस तरह से 12 राशियां और 9 ग्रह हैं, माना जाता है कि यह सब मां काली के मंदिर में मौजूद हैं।

यह ग्रह मां कालकाजी मंदिर में उनके पुत्रों के रूप में निवास करते हैं।

इसलिए इन दोनों को अलग करने की जरूरत नहीं है।

इसलिए मंदिर के द्वार भक्तों के लिए आधी रात तक खुले रहते हैं।

आसपास घूमने की जगहें कैलाश मंदिर से करीब 600 मीटर की दूरी पर लोटस टेंपल है।

जहां पर आप कार से सिर्फ 5 मिनट में पहुंच सकते हैं।

वहीं आप यहां पर टैक्सी से भी जा सकते हैं।

या फिर पैदल भी जा सकते हैं।

कैलाश मेट्रो के पास फेमस इस्कॉन टेंपल है।

जोकि सिर्फ 2 किमी की दूरी पर है।

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Posted on 13 May 2025 | Source: Prabhasakshi | Keep reading HeadlinesNow.com for news updates.

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