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आपातकाल: क्या छीना गया था जनता से? राजनीति, लोकतंत्र, और 1975 का संकट Emergency Decree Crushed Indian Democracy

आपातकाल: क्या छीना गया था जनता से? राजनीति, लोकतंत्र, और 1975 का संकट Emergency Decree Crushed Indian Democracy

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HeadlinesNow पर पढ़ें राजनीति - आपातकाल: क्या छीना गया था जनता से? राजनीति, लोकतंत्र, और 1975 का संकट Emergency Decree Crushed Indian Democracy

आपातकाल: क्या छीना गया था जनता से? राजनीति, लोकतंत्र, और 1975 का संकट Emergency Decree Crushed Indian Democracy

हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र को गहरा झटका दिया था।

यह भारतीय राजनीति का एक ऐसा काला अध्याय है जिसने नागरिक अधिकारों का व्यापक उल्लंघन किया।

धारा 352 के तहत लागू यह आपातकाल मार्च 1977 तक चला, जिस दौरान कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने विरोधियों को बड़े पैमाने पर जेलों में डाल दिया।

मीडिया पर सेंसरशिप लगाई गई, प्रेस की आजादी छीनी गई और आम नागरिकों को बेरहमी से कुचला गया।

मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ और संविधान की भावना को ही तार-तार कर दिया गया।

विशेष रूप से छात्रों पर हुए अत्याचारों ने इस काले अध्याय की गंभीरता को और बढ़ा दिया।

यह घटनाक्रम बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों के लिए राजनीतिक चुनावों में हमेशा एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है, क्योंकि इसने लोकतंत्र की नींव को ही हिला दिया था।

आपातकाल के दौरान नेताओं, आम जनता और संस्थानों के अनुभवों को समझना आज भी अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि भविष्य में ऐसे संकटों से बचा जा सके।

इस घटना ने भारतीय राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला और यह हमें याद दिलाता है कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा कितनी महत्वपूर्ण है।

  • आपातकाल: 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाया गया।
  • नागरिक अधिकारों का व्यापक उल्लंघन, प्रेस पर सेंसरशिप।
  • राजनीतिक विरोधियों पर अत्याचार, लोकतंत्र पर गहरा असर।

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Posted on 29 June 2025 | Check HeadlinesNow.com for more coverage.

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