बाजरा खेती: उत्पादन में गिरावट? जानिए रोगों से बचाव!
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बाजरा खेती: उत्पादन में गिरावट? जानिए रोगों से बचाव!

बाजरा खेती: उत्पादन में गिरावट? जानिए रोगों से बचाव!
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बाजरे की खेती, खासकर सूखे इलाकों में, किसानों की आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत है।
लेकिन, कई बीमारियाँ बाजरे की पैदावार को बुरी तरह प्रभावित करती हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
इसलिए, समय पर रोगों की पहचान और उनका नियंत्रण बेहद ज़रूरी है।
बाजरा (Pearl Millet), जिसे कम पानी में उगाया जा सकता है, भारतीय कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इसकी खेती में लगने वाले प्रमुख रोगों में एर्गाट, डाउनी मिल्ड्यू, और ब्लाइट शामिल हैं।
एर्गाट रोग में फूलों पर काले रंग के कवक दिखाई देते हैं, जिससे दाने सिकुड़ जाते हैं और उत्पादन घट जाता है।
डाउनी मिल्ड्यू से पत्तियों पर सफ़ेद या बैंगनी रंग के धब्बे दिखते हैं, जबकि ब्लाइट से पौधों के तने और पत्तियाँ सड़ने लगते हैं।
इन रोगों से बचाव के लिए, बीजों का उपचार, सही समय पर सिंचाई, और उन्नत किस्मों का प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
साथ ही, कीटनाशकों का सही इस्तेमाल और खेत की साफ़-सफ़ाई भी रोगों को रोकने में मदद करती है।
कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेना और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना भी किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को नई तकनीकों और रोग प्रतिरोधी किस्मों को अपनाना चाहिए।
समय रहते रोगों का पता लगाकर उचित उपचार करने से बाजरा उत्पादन में वृद्धि करके किसानों की आर्थिक स्थिति को मज़बूत किया जा सकता है।
यह लेख बाजरा उत्पादन में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधानों पर प्रकाश डालता है जिससे किसानों को बेहतर उपज प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
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Posted on 06 June 2025 | Source: MeriKheti | Check HeadlinesNow.com for more coverage.