राजनीति में आध्यात्म: क्या है चौंकाने वाला रहस्य?
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राजनीति में आध्यात्म: क्या है चौंकाने वाला रहस्य?

राजनीति में आध्यात्म: क्या है चौंकाने वाला रहस्य?
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, पं. विजयशंकर मेहता के विचारों ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है।
उनके स्तंभ में अध्यात्म और कर्मयोग के अनोखे संगम का वर्णन है, जो राजनीतिज्ञों के लिए भी प्रासंगिक है।
मेहता जी ने कहा है कि कर्मयोगियों के लिए शांति पाना बेहद ज़रूरी है, और इसके लिए थोड़ी देर के लिए 'कर्ता' भाव को त्यागकर 'साक्षी' बनना आवश्यक है।
नदी के बहते पानी की तरह, जीवन के प्रवाह को बिना हस्तक्षेप किए देखना सीखें।
यह अभ्यास 24 घंटे में एक बार, या कम से कम हफ्ते में एक बार करने की सलाह दी गई है।
आज की भागमभाग भरी राजनीति में, जहां सफलता की होड़ में सभी आसमान छूने की कोशिश में लगे हैं, थोड़ा विश्राम, जमीन पर आना, और खुद पर चिंतन करना बेहद आवश्यक है।
यह अभ्यास अधीरता, अहंकार, भ्रम, भय और अस्वस्थता जैसी भावनाओं को दूर करने में मदद करता है।
ध्यान द्वारा साक्षी बनने की कला सीखी जा सकती है।
यह राजनीतिक नेतृत्व के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है – शांति और स्थिरता के साथ निर्णय लेने की क्षमता।
इससे राजनीतिक स्थिरता, बेहतर नीति निर्माण, और जनकल्याणकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिल सकती है।
मेहता जी के विचार निश्चित रूप से राजनीतिक चेतना के लिए एक नया आयाम जोड़ते हैं।
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Posted on 04 June 2025 | Source: Dainik Bhaskar | Visit HeadlinesNow.com for more stories.