हैरान कर देने वाला! ज्येष्ठ पूर्णिमा दो दिन, जानें पूजा विधि व महत्व
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हैरान कर देने वाला! ज्येष्ठ पूर्णिमा दो दिन, जानें पूजा विधि व महत्व

हैरान कर देने वाला! ज्येष्ठ पूर्णिमा दो दिन, जानें पूजा विधि व महत्व
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा दो दिन, 10 और 11 जून को पड़ रही है।
यह दिलचस्प खबर उन सभी भक्तों के लिए है जो ज्येष्ठ पूर्णिमा के पवित्र पर्व को मनाने की तैयारी कर रहे हैं।
इस तिथि का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है, जो सत्यवान-सावित्री की अमर प्रेम कथा से जुड़ा है।
यह पर्व वट पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है।
सुहागिन महिलाएँ वट सावित्री व्रत रखती हैं, अपने पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।
इस दिन गंगा सहित अन्य नदियों में स्नान करने, पितरों को तर्पण देने और भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने की भी परंपरा है।
पितृ तर्पण के लिए दोपहर में कंडे जलाकर, गुड़-घी चढ़ाकर और जल अर्पित करने का विधान है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, पौराणिक मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा का अवतरण हुआ था, इसलिए इस पूर्णिमा पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
यदि गंगा स्नान संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
प्रयागराज, हरिद्वार, वाराणसी जैसे तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा, वट वृक्ष पूजा, सत्यवान सावित्री व्रत, पितृ तर्पण, गंगा स्नान – ये सभी इस पावन पर्व के अंग हैं जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
इस वर्ष दो दिन पड़ने वाली ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
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Posted on 08 June 2025 | Source: Dainik Bhaskar | Follow HeadlinesNow.com for the latest updates.