हैरान करने वाला! निर्जला एकादशी का रहस्य, जानें भीम और विष्णु का अनोखा नाता
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हैरान करने वाला! निर्जला एकादशी का रहस्य, जानें भीम और विष्णु का अनोखा नाता

हैरान करने वाला! निर्जला एकादशी का रहस्य, जानें भीम और विष्णु का अनोखा नाता
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, आज ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी, निर्जला एकादशी है, जिसे पांडव और भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
यह एक महत्वपूर्ण व्रत है, जहाँ भक्त पूरे दिन बिना पानी पिए उपवास रखते हैं, भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने की आशा में।
इस दिन जल से भरे मटके पर आम, चीनी, पंखा, तौलिया आदि दान करने की परंपरा है, जो पितरों की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रतीक है।
पद्म पुराण के अनुसार, इस एकादशी का व्रत रखने से साल भर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए ठंडा पानी, भोजन, वस्त्र, छाता और जूते-चप्पल का दान करना भी शुभ माना जाता है।
भगवान विष्णु की पूजा 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र से की जाती है।
'निर्जला' नामकरण इस व्रत की विशेषता को दर्शाता है - बिना जल ग्रहण किये उपवास।
महाभारत काल से जुड़ी एक दिलचस्प कथा भी इस एकादशी से जुड़ी है, जहाँ भीम ने इस कठोर व्रत को पूर्ण किया था।
स्कंद पुराण के एकादशी महात्म्य अध्याय में इस व्रत का विस्तृत वर्णन मिलता है, जहाँ श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशियों के महत्व को समझाया था।
यह व्रत धार्मिक आस्था और परंपरा का एक अनूठा उदाहरण है जो सदियों से चली आ रही है और आने वाले समय में भी अपनी प्रासंगिकता बनाये रखेगा।
इस पवित्र दिन पर भक्तगण ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, अपने जीवन को सार्थक और पवित्र बनाने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।
यह व्रत धार्मिक विश्वास, पितृ पूजा और भगवान विष्णु की भक्ति का एक अद्भुत संगम है।
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Posted on 06 June 2025 | Source: Dainik Bhaskar | Follow HeadlinesNow.com for the latest updates.