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कितनी सहूलियत देगा 'फास्टैग' का नया नियम? Breaking News Update

कितनी सहूलियत देगा 'फास्टैग' का नया नियम? Breaking News Update

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HeadlinesNow पर पढ़ें राजनीति - कितनी सहूलियत देगा 'फास्टैग' का नया नियम? Breaking News Update

कितनी सहूलियत देगा 'फास्टैग' का नया नियम? Breaking News Update

‘टोल टैक्स’ पर आए दिन घटित होती नाना प्रकार की सामान्य-असामान्य घटनाओं को ध्यान में रखते हुए आखिरकार केंद्र सरकार ने एक दफे फिर पुरानी टोल्स नीतियों में बदलाव करते हुए नए फास्टैग नियम लागू करने का ऐलान किया है।

बदले नियमों को केंद्र सरकार ने ‘सुपरफास्ट फास्टैग’ बताया है।

हालांकि, ये नवीनतम योजना दो महीने बाद यानी आगामी 15 अगस्त से देशभर में अमल आएगी।

इसके संबंध में मोटी-मोटी सूचनाएं विभागीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीते गुरुवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के जरिए देशवासियों से साक्षा की।

नई नियमों को लेकर लोगों के जेहन में सिर्फ दो सवाल प्रमुखता से उठ रहे हैं।

अव्वल, क्या अब टोल टैक्स पर लगने वाली लंबी-लंबी कतारें कम होंगी।

वहीं दूसरा, क्या इससे वाहन चालकों को थोड़ी बहुत रियारत मिल पाएगी?   गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी मंत्री नितिन गडकरी ने एक ऐलान किया था कि 60 किमी अंतराल में आने वाले टोल से वसूली नहीं की जाएगी।

लेकिन अफसोस वह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई।

कम दूरी वाले किसी टोल को बंद नहीं किया गया, आज भी टोल्स पर वसूली बदस्तूर जारी है।

ज्यादातर पुराने टोल की दूरी 60 किमी से काफी कम हैं।

30-40 किमी की दूरी में ही बने हैं।

विगत सालों पहले सरकार ने टोल से नगद वसूली के नियमों को बदलकर जब से फास्टैग योजना को लागू किया था, तब से उसकी आमदनी में चार चांद लग गए।

दरअसल, फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली है, जिसे एनएचएआई लीड करती है।

इसे भी पढ़ें: Fastag को लेकर नितिन गडकरी का बड़ा ऐलान, अब 3,000 रुपये में मिलेगा एनुअल-पास फास्टैग से टोल वसूली का पैसा धीरे सरकार के खजाने में जाता है।

फास्टैग रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक से उपयोग होती है, जिससे ग्राहक टोल भुगतान सीधे प्रीपेड या बचत खाते से आसानी से करते हैं।

वित्तीय वर्ष-2024 में भारत भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संग्रह राजस्व का मूल्य 648 बिलियन भारतीय रुपए से अधिक रहा।

यही कारण है कि सरकार इस सब्जेक्ट को इतनी गंभीरता से लेकर चल रही है।

सरकार का मकसद है कि नए नियमों का फायदा ग्राहकों को भी हो और उनकी आमदनी में भी इजाफा हो? केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम-1956 और शुल्क नियम-2008 के तहत टोल प्लाजा के माध्यम से शुल्क वसूलती है।

नियमों में बदलाव पहले भी कई मर्तबा किए गए।

पर, बीते एकाध दशक से टोल वसूली में बेहताशा इजाफा हुआ।

जिसे कम करने का आमजन का भारी दबाव सरकार पर है।

आम लोगों को मिलने वाली किफायत की जहां तक बात है, तो नई पॉलिसी फिलहाल निजी वाहनों पर लागू होगी।

तीन हजार रुपए का वैध वार्षिक पास बनवाने के बाद ग्राहक साल भर की अवधि में 200 टोल टैक्स क्रॉस कर सकेंगे।

ये पास मौजूदा फास्टैग में ही संचालित होगा, नया बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

  हालांकि, इसमें पेंच एक फंसाया गया है।

योजना सिर्फ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और विभिन्न राष्टृय राजमार्गों में प्रयोग होगी।

राज्य स्तरीय मार्गों-सड़कों, निकाय और नगर निगम की अधिकृत सड़कों को इससे नहीं जोड़ा गया है।

योजना से ग्राहकों को जो फायदा होगा, वह ये है कि अभी तक अमूमन प्रत्येक एनएचएआई टोल टैक्स पर भुगतान करने की कीमत 50 रु से लेकर 200 रुपए के बीच होती है।

लेकिन 3 हजारी वैध पास के बाद मात्र 15 रूपए ही प्रत्येक टोल पर वसूले जाएंगे।

ये फायदा निजी वाहन चालकों को सीधे तौर होगा।

योजना की एक अच्छी बात ये है।

चालक अगर साल में 200 टोल्स को क्रॉस नहीं करता है, तो उसकी वैधता अगले वर्ष भी जारी रहेगी।

राष्ट्रीय राजमार्गों पर रोजाना और नियमित चलने वालों के लिए ‘सुपरफास्ट फास्टैग’ योजना निश्चित रूप से कारगर साबित होने वाली है।

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय पर बीते कुछ वर्षों से टोल प्लाजा पर ट्रैफिक को कम करने का भारी प्रेसर पड़ा है।

प्रत्येक दिन कहीं न कहीं मारपीट की घटनाएं रिपोर्ट होती रही हैं।

इन सभी से छुटकारा पाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस योजना को लागू किया।

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का विशाल नेटवर्क बिछ चुका है।

वर्ष-2014 तक राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 91,287 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 1,46,195 किलोमीटर हो चुकी है।

  अगले 10 सालों में राजमार्गों की लंबाई डेढ़ गुनी तक बढ़ने की संभावनाएं हैं और उसमें नए टोल भी जुड़ेंगे।

इसलिए सरकार के लिए ये क्षेत्र कमाई का बड़ा जरिया बन गया है।

सरकार को नेशनल हाईवे से प्रति वर्ष पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत चलने वाले टोल बूथों पर टैक्स के तौर पर 1.44 लाख करोड़ रुपये की कमाई हो रही है।

इस आंकड़े को पिछले वर्ष का खुद नितिन गडकरी ने संसद में प्रस्तुत किया था।

देश में सड़कां का जिस युद्वस्तर पर जाल बिछ रहा है, उससे प्रतीत होता है भविष्य में यह क्षेत्र सरकार की कमाई का सबसे बड़ा जरिया बनेगा।

आंकड़ों के मुताबिक हिंदुस्तान में करीब 1,063 टोल प्लाजा हैं जिनमें 457 टोल प्लाजा का निर्माण वर्ष 2025 में किया गया।

टोल नीति केंद्र सरकार की वह इकाई है जो सबसे बड़ी कमाउ है।

नई ‘सुपरफास्ट फास्टैग’ नीति से भी उसे ढेरों उम्मीदें हैं।

टोल पॉलिसी को केंद्र सरकार राजस्व वसूली का सबसे बड़ा जनरेटर मानती ही है, तभी इसमें नित नए नियमों को जोड़ती चली जा रही है।

मात्र दिल्ली-मुंबई मार्ग पर एनएच-48 के वडोदरा-भरूच खंड पर स्थित टोल प्लाजा ने पिछले 5 पांच सालों में 400 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाकर दिए हैं।

  सहकार ग्रुप लिमिटेड (एसजीएल) भारत में सड़कों के टोल संग्रह में सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है।

टोल से कमाई के आंकड़ों पर अगर नजर डालें, तो 2018-19 में 25,154.76 करोड़ रुपए, 2019-20 में 27,637.64 करोड़ रुपए, 2020-21 में 27,923.80 करोड़ रुपए, 2021-22 में 33,907.72 करोड़ रुपए और 2022-23 में 48,028.22 करोड़ रुपए अर्जित किए।

कमाई बढ़े अच्छी बात है, पर सड़कों की सुरक्षाओं को लेकर वाहन चालकों के प्रति जो चिंताएं हैं वह भी कम होनी चाहिए।

सरकार को सुविधाओं पर भी ध्यान देना होगा।

निर्बाध और सुगम सड़क यात्राओं की इच्छाएं सभी में हैं।

- डॉ. रमेश ठाकुर सदस्य, राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (NIPCCD), भारत सरकार!।

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Posted on 24 June 2025 | Follow HeadlinesNow.com for the latest updates.

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