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जातिवाद और तुष्टीकरण की विकृत राजनीति का खतरनाक खेल Breaking News Update

जातिवाद और तुष्टीकरण की विकृत राजनीति का खतरनाक खेल Breaking News Update

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HeadlinesNow पर पढ़ें राजनीति - जातिवाद और तुष्टीकरण की विकृत राजनीति का खतरनाक खेल Breaking News Update

जातिवाद और तुष्टीकरण की विकृत राजनीति का खतरनाक खेल Breaking News Update

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2026 के पंचायत चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों को लेकर राजनैतिक सरगर्मियां तीव्र हो रही हैं।

इन सरगर्मियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश के प्रमुख विरोधी दल समाजवादी पार्टी के साथ साथ अन्य विरोधी दल भी इन आगामी चुनावों में पहले की ही तरह जातिवाद और तुष्टीकरण को ही अपना प्रमुख हथियार बनाएंगे।

सपा नेता अखिलेश यादव ने जिस प्रकार पीडीए के नाम पर हिन्दू समाज को जाति-जाति में विभाजित करके अपना स्वार्थ सिद्ध करने अर्थात वर्ष 2027 में सपा सरकार बनाने की योजना बनाई है वह वास्तव में प्रदेश के सामाजिक ताने बाने को ध्वस्त करने का एक  खतरनाक खेल है।

विगत दिनों प्रदेश में कई ऐसी घटनाएं घटी हैं जो इस खतरनाक खेल की आहट दे रही हैं।

  समाजवादी अखिलेश यादव द्वारा तथाकथित पीडीए की राजनीति को संबल देने के लिए जो बयानबाजी की जा रही है तथा उनकी पार्टी और समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर जैसी टिप्पणियां की जा रही हैं उनसे प्रदेश में शांति भंग होने की आशंका बढ़ रही है।

सपा मुखिया अखिलेश यादव इटावा में कथावाचक के साथ घटी घटना पर आक्रामक होकर आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं वहीं नैमिष में एक अन्य कथावाचक के साथ घटीअप्रिय घटना पर मौन हैं।

यह तो अच्छा हुआ कि पुलिस प्रशासन ने इटावा के कथावाचक के साथ मारपीट की घटना से सम्बंधित चार संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और घटना की निष्पक्ष जांच आरंभ हो गई है।

इटावा की घटना को लेकर अनावश्यक रूप से ब्राह्मण समाज के विरुद्ध सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं वो सामाजिक वैमस्यता बढ़ाने वाली हैं।

स्मरणीय है कि सत्ता की भूख में आज पीडीए की बात करने वाले सपा मुखिया की सरकार बनते ही 2012 में सबसे पहले सीतापुर में बड़ी संख्या में दलित समाज के घरों को जला दिया गया था।

इसे भी पढ़ें: अखिलेश यादव बोले, INDIA ब्लॉक पूरी तरह एकजुट, जो लोग छोड़ना चाहते हैं, वे स्वतंत्र हैं इटावा की घटना की जांच चल रही है किंतु अखिलेश यादव जांच रिपोर्ट को प्रभावित करने के लिए गलत बयानी कर रहे हैं।

हिंदू समाज में किसी भी जाति का, कोई भी व्यक्ति जिसे धर्मग्रंथों का ज्ञान है तथा जनमानस को अच्छी बातें बताने की क्षमता रखता है वह कथावाचन कर सकता है।

अधिकांश कथा वाचक गैर ब्राह्मण ही हैं।

कथावाचक की जाति पर कभी चर्चा नहीं होती।

यदि कोई कथावाचक अपनी जाति व धर्म को छुपाकर यह कृत्य करता है तो चिंता की बात है।

कोई  कथा कहना चाहता है तो उसे अपना सही नाम बताने में कठिनाई नहीं होनी चाहिए।

नाम छुपाने के साथ साथ एक से अधिक आधार कार्ड रखना एक आपराधिक कृत्य है कोई कथावाचक ऐसा क्यों करेगा? इस पूरी घटना में सपा की प्रतिक्रिया से लगता है कि संभव है कि इटावा की घटना सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत करवाई गई हो और एक समय बसपा का नारा रहे “तिलक, तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार“ को अब सपा ने अपना लिया है।

सपा ने पीडीए का दिल जीतने के लिए ब्राह्मण समाज का अपमान किया है।

  इस बीच सपा ने राज्यसभा चुनावों के दौरान क्रास वोटिंग करने वाले तीन विधायकों ऊंचाहार से मनोज कुमार पांडेय, गोसाईगंज से अभय सिंह और गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह को पार्टी से निकाल दिया है।

सपा की ओर से एक्स पर लिख गया कि सांप्रदायिक व पीडीए विरोधी विचारधारा का साथ देने के कारण तीनों विधायकों को निकाला गया है।

वहीं इन विधायकों का कहना है कि भगवान राम और रामचरित मानस के अपमान का विरोध करने के कारण इन सभी को निष्कासित किया गया है।

विधायक मनोज पांडेय ने कहा कि मैंने सपा नेताओं द्वारा हिंदू देवी-देवताओं को गाली दिए जाने तथा रामायण की प्रतियां जलाने का विरोध किया था।

विधायक मनोज पांडेय अयोध्या में रामलला के दर्शन भी कर आये हैं।

सभी विधायकों ने कहा कि सपा में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है।

समाजवादी पार्टी ने अब लोहिया की विचारधारा को त्याग चुकी है।

अखिलेश यादव आजकल कोई भी विषय हो पीडीए को बीच में घसीट लाते हैं।

हाल ही में सोने-चांदी के बढ़ रहे दामों पर बयान देते हुए उन्होंने कहा कि सोने-चांदी के दाम चरम सीमा पर है जिस कारण गरीब पीडीए समाज की बिटिया की सगाई में सोना कैसे खरीदा जाएगा जबकि वह अच्छी तरह से जानते हैं कि सोने चांदी की कीमतों पर केंद्र सरकार व राज्य सरकार का कोई निंयंत्रण नहीं होता है अपितु यह अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर होता है।

  समाजवादी पार्टी मुखिया एक घोषणा यह भी कर रहे है कि जब उनकी सरकार आयेगी तब महापुरुषों की सोने की मूर्तियां लगवाई जाएंगी।

अखिलेश यादव ने कन्नौज में सम्राट हर्षवर्धन और बहराइच में महाराज सुहेलदेव राजभर की सोने की मूर्तियां लगवाने की घोषणा की है।

सत्यता यह है कि सपा मुखिया प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास और हिन्दुत्व के समन्वित एजेंडे का उत्तर नहीं खोज पा रहे हैं।

बहराइच में योगी जी महाराज सुहेलदेव की कांस्य की प्रतिमा का अनावरण कर चुके हैं।

मूर्तियों की घोषणा पर सपा मुखिया से यह प्रश्न भी पूछा जा सकता है कि जब 2012 से 217 तक प्रदेश में उनकी सरकार थी तब उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया?  समाजवादी पार्टी जब सत्ता में रही तब उसने अपनी तुष्टीकरण की नीति के चलते मुस्लिम आक्रान्ताओं को पराजित करने वाले महाराज सुहेलदेव सहित किसी भी अन्य महापुरुष का सम्मान नहीं किया।

इसी प्रकार सपा नेता ने छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान में आगरा में भव्य संग्रहालय और लखनऊ गोमती नदी के तट पर सोने के सिंहासन पर बैठी उनकी एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

सपा मुखिया इतना सोना आखिर लायेंगे कहां से ? नेताओं को वही घोषणाएं करनी चाहिए जिस पर जनमानस विश्वास कर सके, नहीं तो चुनाव परिणाम आने पर फिर वही राग छिड़ेगा कि ईवीएम खराब है बैलट वापस लाओ।

  - मृत्युंजय दीक्षित।

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Posted on 06 July 2025 | Stay updated with HeadlinesNow.com for more news.

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