जाम की त्रासदी: क्या सरकारें जनता की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं? India Traffic Jams Deaths Debate
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जाम की त्रासदी: क्या सरकारें जनता की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं? India Traffic Jams Deaths Debate
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में बढ़ते जाम और इससे होने वाली मौतों ने राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है।
27 जून को इंदौर-देवास हाईवे पर लगे 40 घंटे के जाम में 4000 से ज़्यादा वाहन फँस गए और 3 लोगों की जान चली गई।
यह एक भयावह उदाहरण है, लेकिन अकेला नहीं।
केरल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी इसी तरह की घटनाएँ सामने आई हैं जहाँ ट्रैफ़िक जाम में फँसने के कारण कई लोगों की जान चली गई, जिनमें एक तीन साल का बच्चा और एक 62 वर्षीय पर्यटक शामिल हैं।
इन घटनाओं ने राजनीतिक दलों, खासकर कांग्रेस और बीजेपी को निशाने पर लिया है।
विपक्षी दल सरकारों की नाकामी पर सवाल उठा रहे हैं, सड़क सुरक्षा और प्रभावी ट्रैफ़िक प्रबंधन की कमी को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं।
नेताओं ने विभिन्न स्तरों पर जाम की समस्या पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन जमीनी स्तर पर कारगर समाधान की कमी साफ़ दिखाई दे रही है।
यह केवल राजनीतिक बहस का विषय नहीं है, बल्कि जनता की सुरक्षा और जीवन की रक्षा से जुड़ा हुआ महत्वपूर्ण मुद्दा है।
सरकारों को इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है, न कि केवल चुनावों के दौरान वादे करने की।
यह सरकारों की कार्यकुशलता और जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी का भी प्रश्न है।
क्या आगामी चुनावों में यह मुद्दा राजनीति को प्रभावित करेगा? समय ही बताएगा।
- इंदौर-देवास में 40 घंटे का जाम, 3 मौतें
- केरल, उत्तराखंड, यूपी, हिमाचल में भी जाम से मौतें
- कांग्रेस और बीजेपी पर सवाल, चुनावी मुद्दा बना जाम
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Posted on 06 July 2025 | Follow HeadlinesNow.com for the latest updates.