महाराष्ट्र की राजनीति: भाषा का मुद्दा, ठाकरे बंधुओं का 'मिलन'? Maharashtra Politics: Hindi Imposition Protest
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महाराष्ट्र की राजनीति: भाषा का मुद्दा, ठाकरे बंधुओं का 'मिलन'? Maharashtra Politics: Hindi Imposition Protest
हेडलाइंसनाउ की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र की राजनीति में भाषा का मुद्दा एक बार फिर केंद्र में है।
शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने हिंदी भाषा के कथित ‘थोपे जाने’ के खिलाफ मोर्चा खोला है, जिससे राज्य में भाषाई राजनीति गरमा गई है।
यह घटनाक्रम उल्लेखनीय है क्योंकि वर्षों से एक-दूसरे के विरोध में रहे ठाकरे बंधु इस मुद्दे पर एक समान मंच पर नज़र आ रहे हैं।
राज ठाकरे और मनसे का हिंदी विरोध कोई नई बात नहीं है; मुंबई जैसे महानगरों में बड़ी हिंदी भाषी आबादी के बीच, मराठी भाषी समाज में यह भावना पनपाई जा रही है कि उनकी सांस्कृतिक पहचान और भाषा को हाशिये पर धकेला जा रहा है।
मनसे ने पहले भी हिंदी भाषियों पर निशाना साधते हुए विभिन्न अभियान चलाए हैं।
दूसरी ओर, शिवसेना की नींव ही ‘मराठी मानुष’ की राजनीति पर रखी गई थी, हालाँकि बाद में उसने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह बनाई।
यह राजनीतिक समीकरण चुनावों से पहले बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह महाराष्ट्र में भाषाई आधार पर मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है।
नेताओं के लिए यह चुनौती है कि वे इस मुद्दे को संभालें और राज्य में सामाजिक सौहार्द बनाए रखें।
ठाकरे बंधुओं के इस 'मिलन' से राज्य की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं, जिसका असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है।
यह घटनाक्रम राज्य की जटिल राजनीतिक परिस्थिति को और उलझा सकता है।
- ठाकरे बंधुओं का हिंदी विरोध पर एकजुट होना
- महाराष्ट्र में भाषाई राजनीति का तेज होना
- आगामी चुनावों पर संभावित प्रभाव
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Posted on 06 July 2025 | Follow HeadlinesNow.com for the latest updates.