बीजेपी संजय कुमार का कॉलम:मतदाताओं को उम्मीदवारों के विरुद्ध वोट देने का भी हक है
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बीजेपी संजय कुमार का कॉलम:मतदाताओं को उम्मीदवारों के विरुद्ध वोट देने का भी हक है

बीजेपी संजय कुमार का कॉलम:मतदाताओं को उम्मीदवारों के विरुद्ध वोट देने का भी हक है
मुख्य विवरण
इसमें उस स्थिति में भी मतदाताओं को नोटा का विकल्प देने के बारे में चर्चा की गई, जब एक ही उम्मीदवार मैदान में हो।
हाल ही में विधि सेंटर फॉर लीगल रिसर्च द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की गई।
इसके जरिए हमें इस पर चर्चा करने का अवसर मिला कि भारतीय चुनावों में नोटा कितना प्रासंगिक है? अगर एक ही उम्मीदवार मैदान में हो, क्या तब भी चुनाव कराना वांछनीय है? क्योंकि वैसी स्थिति में चुनाव न कराने का यह मतलब होगा कि मतदाताओं को नोटा के जरिए उस एक उम्मीदवार के खिलाफ अपनी राय व्यक्त करने का मौका नहीं दिया गया और उसे निर्विरोध चुन लिया गया।
यह सच है कि नोटा से वांछित परिणाम नहीं मिलते, फिर भी हमें नहीं भूलना चाहिए कि नोटा हमारी चुनावी प्रणाली को स्वच्छ और उत्तरदायी बनाने के प्रयास में एक आगे का रास्ता है।
यह भी नहीं भूलना चाहिए कि नोटा को भारतीय चुनावों में पहली बार 2013 में पीयूसीएल द्वारा दायर जनहित याचिका के आधार पर पेश किया गया था, जिसमें मतदाता के मतदान न करने के अधिकार को मान्यता देने के लिए एक मैकेनिज्म की मांग की गई थी।
विशेष जानकारी
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग सभी निर्वाचन क्षेत्रों में नोटा को अनिवार्य बनाने के विचार के खिलाफ नजर आया, उस स्थिति में भी जब मैदान में एक ही उम्मीदवार हो।
लेकिन चुनाव आयोग के वकील द्वारा दिए तर्क ठोस नहीं लगते।
आयोग ने खुद ही आंकड़े पेश किए कि 1971 से लेकर आज तक पिछले 54 सालों में हुए सभी लोकसभा चुनावों में अब तक केवल छह बार निर्विरोध चुनाव हुए हैं।
एक अन्य डेटा के अनु।
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Posted on 14 May 2025 | Source: Dainik Bhaskar | Stay updated with HeadlinesNow.com for more news.