Shrinathji Temple: नाथद्वार के श्रीनाथजी मंदिर में बेटों के साथ बहुएं भी लगाती हैं हाजिरी, जानिए इसकी खासियत
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Shrinathji Temple: नाथद्वार के श्रीनाथजी मंदिर में बेटों के साथ बहुएं भी लगाती हैं हाजिरी, जानिए इसकी खासियत

Shrinathji Temple: नाथद्वार के श्रीनाथजी मंदिर में बेटों के साथ बहुएं भी लगाती हैं हाजिरी, जानिए इसकी खासियत
मुख्य विवरण
श्रीनाथजी मंदिर में आम लोगों के साथ-साथ कई फेमस हस्तियां दर्शन करने के लिए पहुंचती हैं।
लेकिन आज हम आपको नाथद्वार स्थित श्रीनाथजी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
अधिकतर लोग केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन के लिए जाते हैं।
इन हस्तियों में एक अंबानी परिवार भी शामिल है।
हाल ही में अंबानी की छोटी बहु राधिका मर्चेंट को श्रीनाथजी मंदिर में देखा गया था।
जहां पर राधिका मर्चेंट के साथ उनके माता-पिता भी थे।
ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको श्रीनाथजी मंदिर की खासियत के बारे में बताने जा रहे हैं।
चावल के दानों में देते हैं दर्शन नाथद्वार में स्थित भगवान श्रीनाथजी का चमत्कारी मंदिर है।
यह मंदिर कई चमत्कारी कहानियों के लिए जाना जाता है।
माना जाता है कि श्रीनाथजी खुद भगवान विष्णु के अवतार हैं।
पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण सात साल के थे, तब वह यहां पर विराजमान हो गए थे।
इस दौरान मंदिर में मौजूद श्रीकृष्ण की काले रंग की मूर्ति को एक पत्थर से तराशा गया है।
वहीं यह अपने आप में हैरान कर देने वाली चीज है।
यहां भगवान भक्तों को चावल के दानों में दर्शन देते हैं।
विशेष जानकारी
इसलिए श्रद्धालु अपने साथ चावल लेकर जाते हैं।
दर्शन के बाद श्रद्धालु इन चावलों को अपनी तिजोरी में रखते हैं, जिससे कि घर में धन की कमी न हो।
इसे भी पढ़ें: Goddess Shashthi Devi: षष्ठी देवी के व्रत से होती है संतान की रक्षा चरण पादुकाएं उस दौरान श्रीनाथजी की मूर्ति जोधपुर के पास चौपासनी गांव में थी।
चौपासनी गांव में कई समय तक बैलगाड़ी में श्रीनाथजी की मूर्ति की पूजा होती रही।
हालांकि अब यह गांव जोधपुर का हिस्सा बन गया है।
वहीं जिस जगह ये बैलगाड़ी खड़ी थी, वहां पर श्रीनाथजी का मंदिर बना है।
कोटा से करीब 10 किमी दूर श्रीनाथजी की चरण पादुकाएं उसी दौरान आज तक वहीं रखी हुई है।
इस स्थान को चरण चौकी के नाम से जानते हैं।
ऐसे की जाती है श्रीनाथजी की सेवा मंदिर से जुड़े नियमों के मुताबिक सर्दियों में प्रभु श्रीनाथजी को उठाकर भोग लगाया जाता है।
वहीं रात में प्रभु को सुलाने के लिए कवियों के पदों का गान किया जाता है।
श्रीनाथजी के शयनानन्तर तक बीन भी बजाई जाती है।
वहीं गर्मी में उनके लिए पंखे की सेवा की जाती है।
वहीं सर्दियों में उनको ठंड से बचाने के लिए श्रीनाथजी की मूर्ति के पास अंगीठी रखी जाती है।
अवार्ली पर्वत माला के बीच मौजूद इस मंदिर में आकर आपको सुकून का एहसास होगा।
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Posted on 14 May 2025 | Source: Prabhasakshi | Check HeadlinesNow.com for more coverage.